पेरिस ओलंपिक 2024 स्वप्निल कुसाले का निशानेबाजी में ऐतिहासिक कास्य पदक
2024 पेरिस ओलंपिक, अपना पहला ओलंपिक खेल रहे भारत के निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने 50 मीटर राइफल निशानेबाजी की स्पर्धा में कास्य पदक जीतकर भारत का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। उन्होंने इस स्पर्धा में 451.4 का स्कोर बनाते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस खेल को नया आयाम देते हुए देश के युवाओं को प्रेरित किया कि वह इस खेल में आए और भारत का नाम दुनिया में रोशन करें।
व्यक्तिगत जीवन और यात्रा
स्वप्निल कुसाले का जन्म 1995 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर मैं एक साधारण से किसान परिवार में हुआ है। बचपन से ही निशानेबाजी में उनकी रुचि रही है। 2009 मे उनके पिता ने उन्हें महाराष्ट्र सरकार क्रीड़ा प्रबोधिनी मे एडमिशन कराया जहां इन्होंने निशानेबाजी को खेल के रूप में चुना. तब उनके पिता ने कर्ज लेकर के पहली राइफल दिलाई थी। इनकी माता-पिता सदैव इनको प्रोत्साहित और समर्थन देते रहे।धीरे-धीरे स्वप्निल कुसाले ने खेलों की दुनिया में अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाया।
शूटिंग में उत्कृष्टता
स्वप्निल कुसाले ने अपने खेल को कठिन
परिश्रम,निरंतर अभ्यास मानसिक एकाग्रता, अंत तक लड़ने के जज्बे तथा अपनी निजी कोच पूर्व भारतीय निशानेबाज दीपाली देशपांडे के दिशा निर्देशन में अपने खेल को एक महत्वपूर्ण आयाम दिया। दबाव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की क्षमता उन्हें एक सफल और अन्य निशानेबाजो से अलग तरह का निशानेबाज बनती है।
पेरिस ओलंपिक्स 2024 में प्रदर्शन
पेरिस ओलंपिक 2024 में दमदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने 50 मीटर राइफल प्रतिस्पर्धा मैं कास्य पदक जीतकर पहली बार भारत को इस प्रतिस्पर्धा में पदक दिलाया। और 451.4 का स्कोर बनाते हुए आठ निशानेबाजों में तीसरा स्थान प्राप्त कर कास्य पदक जीत कर खेल जगत में अपनी प्रतिभा को नया आयाम दिया और प्रत्येक भारतीय का सर गर्व से ऊंचा कर दिया।
चुनौतियाँ और संघर्ष
स्वप्निल कुसाले ने संसाधनों की कमी, आर्थिक,मानसिक, शारीरिक, प्रतिस्पर्धा आदि चुनौतियों को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और हर मुश्किल का सामना दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास से करते हुए अपने खेल को निरंतर आगे बढ़ाया।
भारतीय खेलों पर प्रभाव
स्वप्निल कुसाले के इस उत्कृष्ट प्रदर्शन और उनकी सफलता से देश के युवाओं में बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारतीय युवा भी इस खेल को अपने कैरियर के रूप में अपनाएंगे। उनका यह प्रदर्शन भारतीय युवाओं में भी इस खेल के प्रति आत्मविश्वास और उत्साह भर दिया है। उन्होंने यह दिखा दिया कि सही दिशा और दृढ़ संकल्प के साथ कठिन परिश्रम किया जाए तो हम अपनी मंजिल अवश्य पाएंगे।
भविष्य की योजनाएँ
यह पदक स्वप्निल कुसाले की खेल जगत की आखिरी मंजिल नहीं है अभी वह अन्य कई अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर निशानेबाजी में और पदक जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। उनका यह दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास उन्हें आगे आने वाले समय में और भी आगे ले जाएगा।
निष्कर्ष
2024 पेरिस ओलंपिक में स्वप्निल कुसाले कि यह सफलता केवल यह उनकी व्यक्तिगत सफलता नहीं है बल्कि उन तमाम करोङो भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है जो इस खेल को उनसे प्रेरित होकर अपनाएंगे और अपने सपनों को साकार करेंगे तथा इस खेल में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे।
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