सिगरा स्टेडियम में राज्य मंत्री ने अधिकारियों को लगाई फटकार, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद के नाम पर उठी विवाद की चिंगारी

वाराणसी: सिगरा स्थित वाराणसी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स 
के उद्घाटन के बाद से इसके नाम को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों के विरोध के बीच अब राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल ने स्मार्ट सिटी के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। मुख्य द्वार पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद का नाम न होने पर मंत्री ने गहरी नाराजगी जताई और जल्द से जल्द सभी चार प्रवेश द्वारों पर सही नाम वाले बोर्ड लगाने के निर्देश दिए।

डॉ. संपूर्णानंद के नाम को लेकर विवाद:

गौरतलब है कि स्टेडियम का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने विरोध का मोर्चा खोल रखा है। रविवार से लगातार इन पार्टियों के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। जहां सपा ने स्टेडियम के गेट पर धरना दिया, वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों की मांग है कि स्टेडियम का नाम पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद के नाम से जुड़ा रहना चाहिए, जो वाराणसी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं।

मंत्री का निरीक्षण और अधिकारियों पर सख्त रवैया:

गुरुवार शाम राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल ने स्मार्ट सिटी के अधिकारियों के साथ स्टेडियम का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि मुख्य गेट पर डॉ. संपूर्णानंद का नाम नहीं लिखा गया है। उन्होंने इसे गंभीर चूक मानते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि स्टेडियम के चारों गेट पर शीघ्र ही सही नाम वाले बोर्ड लगाए जाएं। साथ ही, उन्होंने आश्वासन दिया कि इस गलती को जल्द ही सुधारा जाएगा।

विरोध के बाद प्रशासन बैकफुट पर:

राज्य मंत्री के निरीक्षण के बाद शहर में यह चर्चा जोरों पर है कि प्रशासन अब बैकफुट पर आ गया है। कांग्रेस और सपा के विरोध प्रदर्शनों के दबाव के चलते अब साफ हो गया है कि स्टेडियम के मुख्य द्वार सहित अन्य प्रवेश द्वारों पर डॉ. संपूर्णानंद के नाम का नया बोर्ड लगाया जाएगा। प्रशासन द्वारा इस निर्णय को डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है, ताकि बढ़ते विरोध को कम किया जा सके और लोगों की भावनाओं का सम्मान किया जा सके।

सार:

वाराणसी का सिगरा स्टेडियम, जो अब तक खेल प्रेमियों के लिए एक प्रमुख स्थल रहा है, अब राजनीति का केंद्र बन गया है। प्रशासन ने विरोध की गंभीरता को समझते हुए डॉ. संपूर्णानंद के नाम का बोर्ड लगाने का निर्णय लिया है, जो यह दर्शाता है कि जनभावनाओं का सम्मान सर्वोपरि है। अब देखना यह है कि यह कदम विरोध को शांत करता है या और बढ़ावा देता है।

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