Nag Panchmi ;नाग पंचमी; श्रद्धा और आस्था का पर्व ; एक धार्मिक परंपरा

भारत में  धार्मिक और सामाजिक महत्व की धरोहरों मे कई पर्व है।नाग पंचमी उनमें से एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी के पर्व मे नाग देवता की पूजा की जाती है और नाग देवता को  दूध,धान का लावा,चावल, फूल और मीठे का भोग लगाया जाता है।भारत के विभिन्न प्रदेशों में भिन्न-भिन्न तरीके से नाग देवता की पूजा कर यह पर्व मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल में इस पर्व को विशेष श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया जाता है।

नाग पंचमी का धार्मिक महत्व

     हिंदू धर्म में नाग पंचमी पर्व का विशेष धार्मिक महत्व है। यह त्यौहार नाग देवता के सम्मान में मनाया जाता है। हिंदू धर्म की आस्था के अनुसार नाग देवता को पाताल लोक का देवता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी धन- धान्य, सुख और समृद्धि बढ़ती है।

पौराणिक कथाएं
 
     नाग पंचमी पर्व से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित है। कुछ प्रचलित कथाओं में से एक कथा यह भी है कि जब भगवान श्री कृष्णा अपने बाल काल में लीला करते हुए अपने बाल सखाओ के साथ गेंद  खेल रहे थे तो, गेंद यमुना नदी में चली गई।यमुना नदी में कालिया नाग रहता था। जिसके डर से कोई नहीं जाता था तब भगवान श्री कृष्णा ने यमुना नदी में जाकर कालिया नाग को हराकर उसके फन पर नृत्य करते हुए गेंद ले आए।उसके बाद से ही नाग पंचमी का पर्व मनाया जाने लगा।
     इस पर्व से जुड़ी एक कथा महाभारत  के समय से यह भी प्रचलित है कि राजा जन्मेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ किया था। इस सिर्फ यज्ञ से नागों की रक्षा आस्तिक मुनि ने किया । तभी से उसी दिन से नाग पंचमी का पर्व मनाया जाने की परंपरा शुरू हो गई।

पूजा विधि
   
     नाग पंचमी के दिन लोग सुबह उठकर स्नान कर  अपने घर के आंगन में मिट्टी या गोबर से नाग देवता की प्रतिमा बनाकर इस प्रतिमा पर दूध, चावल, लावा, कुमकुम और फूल आदि चढ़ा कर पूजा करते हैं। नाग देवता को मीठे पकवान व लड्डू का भोग लगाते हैं। 
     
        कुछ जगहों पर नाग देवता की फोटो लेकर अपने घरों के दरवाजे पर चिपकाते हैं और दूध और धान का लावा से भोग लगाकर पूरे घर में उसका छिड़काव करते हैं।कुछ लोग नाग पंचमी के दिन नाग देवता की कृपा पाने के लिए व्रत भी रखते हैं और नागों की सुरक्षा का संकल्प भी लेते हैं।



नाग पंचमी का संदेश
     
    नाग पंचमी का त्यौहार हमारे भारतीय जीवन शैली के अनुसार केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है बल्कि यह सभी वन्यजीवों और सांपों  के प्रति सहानुभूति व सम्मान प्रदर्शित करने का सामाजिक संदेश भी देता है।क्योंकि हमारी भारतीय संस्कृति में सभी जीवो को ईश्वर का अंश माना गया है। नाग पंचमी का पर्व सांपों के प्रति इसी भावना को प्रकट करने का एक माध्यम है कि लोग सांपों के प्रति हिंसक ना हो और उनका सम्मान करें।

निष्कर्ष
   
     अंत में हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि नाग पंचमी का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है बल्कि यह वन्य जीव प्राणियों और सांपों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक सशक्त माध्यम है। इस दिन हम उनकी पूजा कर  अपने सुख शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। यह पर हमारी धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं का एक धरोहर है।
 
     

टिप्पणियाँ

अपनी बुकिंग करें

Discover the World with Free Travel Tours

Join us for an unforgettable adventure!

लोकप्रिय पोस्ट

वाराणसी के ऐतिहासिक भारत मिलाप मेले में भगदड़ और लाठीचार्ज: मंत्री के बेटे से विवाद के बाद दरोगा निलंबित, पुलिस पर उठे सवाल

सिगरा स्टेडियम में राज्य मंत्री ने अधिकारियों को लगाई फटकार, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद के नाम पर उठी विवाद की चिंगारी