राष्ट्रपति चुनाव,श्रीलंका में नए युग की शुरुआत : अनुरा कुमारा दिसानायके की जीत
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके की जीत एक ऐतिहासिक क्षण है। यह जीत न केवल उनके लिए व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि उनकी वामपंथी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। एक समय हाशिये पर खड़ी पार्टी अब देश की मुख्यधारा में आ गई है। आइए जानते हैं, कौन हैं अनुरा कुमारा दिसानायके और उनकी पार्टी का इतिहास।
एक क्रांतिकारी नेता
दिसानायके नेशनल पीपुल्स पॉवर (एनपीपी) गठबंधन के नेता और जेवीपी के प्रमुख हैं। रविवार को हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें विजेता घोषित किया गया। चुनाव आयोग द्वारा घोषित नतीजों के बाद, दिसानायके ने कहा, "सदियों से जो सपना देखा था, वह अब साकार हो रहा है। यह उपलब्धि किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि लाखों लोगों के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।"
उनकी इस सफलता के पीछे सिर्फ उनकी नेतृत्व क्षमता नहीं, बल्कि उनकी पार्टी और उसके समर्थकों की मेहनत भी है। जेवीपी, जो कभी सशस्त्र विद्रोह के लिए जानी जाती थी, अब एक राजनीतिक शक्ति बन गई है। दिसानायके ने कहा, "हमारी यह यात्रा उन लोगों के बलिदानों से भरी है, जिन्होंने हमारे उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। हम उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
जेवीपी का इतिहास
जेवीपी की शुरुआत 1970 के दशक में एक क्रांतिकारी संगठन के रूप में हुई थी, जिसका नेतृत्व रोहन विजेवीरा ने किया था। पार्टी ने दो बड़े विद्रोहों का नेतृत्व किया, लेकिन 1980 के दशक में हुए संघर्षों में सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं की जानें गईं। इसके बाद पार्टी को अपने उग्रवादी अतीत से बाहर निकलना पड़ा और मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखना पड़ा।
1997 में, अनुरा कुमारा दिसानायके ने पार्टी की युवा शाखा की कमान संभाली और धीरे-धीरे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में अपनी जगह बनाई। उन्होंने पार्टी को कट्टरपंथ से निकालकर व्यावहारिक राजनीति की दिशा में ले जाने में अहम भूमिका निभाई।
दिसानायके का राजनीति में सफर
दिसानायके की राजनीति में एंट्री 1998 में हुई जब उन्होंने प्रांतीय परिषद चुनाव लड़ा। भले ही वह चुनाव नहीं जीत पाए, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान बना ली। इसके दो साल बाद, वे संसद के लिए चुने गए और 2004 में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के साथ गठबंधन में कृषि मंत्री बने।
उनके मंत्री पद के दौरान कृषि सुधार और ग्रामीण विकास पर उनका जोर रहा। धीरे-धीरे, उन्होंने जेवीपी को भ्रष्टाचार विरोधी, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक समाजवाद की दिशा में अग्रसर किया।
राष्ट्रपति चुनाव 2024, शुरुआत बदलाव की
2022 में श्रीलंका में हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों ने गोटाबाया राजपक्षे की सरकार को गिरा दिया, और इसके बाद दिसानायके की पार्टी को समर्थन मिला। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी और सुधारवादी मंच पर चुनाव लड़ा, जिसने मतदाताओं को आकर्षित किया।
इस चुनाव परिणाम से स्पष्ट होता है कि श्रीलंका के लोग पारंपरिक राजनीति और वंशवादी शासन से थक चुके हैं। दिसानायके ने अपनी जीत के बाद कहा, "सभी श्रीलंकाई – चाहे वे सिंहली हों, तमिल या मुस्लिम – को एकजुट होकर देश के पुनर्निर्माण में हाथ बंटाना होगा।"
निष्कर्ष
अनुरा कुमारा दिसानायके की जीत श्रीलंका के लिए एक नई शुरुआत है। यह जीत जेवीपी के लिए भी एक नए युग का प्रतीक है, जो अपने हिंसक अतीत से बाहर निकलकर एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभर चुकी है। अब यह देखना बाकी है कि दिसानायके और उनकी पार्टी किस तरह से देश का भविष्य आकार देते हैं, लेकिन यह निश्चित है कि यह जीत श्रीलंका की राजनीति में एक बड़ा मोड़ है।
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