दिल्ली की आठवीं मुख्यमंत्री बनीं आतिशी: एक नई शुरुआत या पुरानी निष्ठा का प्रदर्शन?
शनिवार को आतिशी ने दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके इस ऐतिहासिक पद पर आसीन होने से पहले केवल दो महिलाओं,कांग्रेस की शीला दीक्षित और भाजपा की सुषमा स्वराज,ने यह पद संभाला था। आतिशी की उम्र महज 43 साल है, और वह अब तक दिल्ली की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बन गई हैं। साथ ही, वह ममता बनर्जी के साथ देश की दो महिला मुख्यमंत्रियों में से एक हैं।
हालांकि आतिशी का कार्यकाल अपेक्षाकृत छोटा होगा, क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव फरवरी 2025 में होने वाले हैं, फिर भी उनका मुख्यमंत्री पद पर आसीन होना खासा चर्चा का विषय बन गया है। सबसे अधिक चर्चा उनकी उस पहली आधिकारिक तस्वीर की हो रही है, जिसमें उन्होंने अपने बगल की कुर्सी खाली रखी है। यह कुर्सी अरविंद केजरीवाल के लिए थी, जो आबकारी नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
आतिशी ने पदभार ग्रहण करते हुए कहा, "आज मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली है। मेरे मन में वही व्यथा है, जो भरत के मन में थी, जब भगवान श्री राम 14 साल के वनवास पर गए थे। जैसे भरत ने श्री राम की पादुकाएं सिंहासन पर रखकर शासन किया, वैसे ही मैं अगले 4 महीने दिल्ली की सरकार चलाऊंगी।"
उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। आतिशी का कहना था कि उनकी निष्ठा केजरीवाल के प्रति अटूट है और वह केवल अंतरिम मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करेंगी। इसके बावजूद, भाजपा ने इस कदम को चाटुकारिता करार दिया और इसे संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन बताया। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दो कुर्सियाँ रखना संविधान और मुख्यमंत्री पद का अनादर है। यह आदर्शवाद नहीं बल्कि चाटुकारिता है।"
वहीं, आम आदमी पार्टी के नेताओं और समर्थकों ने आतिशी के इस कदम को निष्ठा और आदर का प्रतीक बताया। पार्टी ने ट्वीट कर आतिशी की तुलना रामायण के भरत से करते हुए कहा कि वह केजरीवाल की अनुपस्थिति में जिम्मेदारी निभा रही हैं, जैसा भरत ने भगवान राम के लिए किया था।
चुनौतियाँ और अवसर
मुख्यमंत्री पद संभालने के साथ ही आतिशी के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी हैं। उन्होंने शिक्षा, राजस्व, वित्त, बिजली, और पीडब्ल्यूडी जैसे 13 विभागों की जिम्मेदारी अपने पास रखी है। इन विभागों में जनता की उम्मीदें और चुनौतियाँ दोनों ही बड़े स्तर पर हैं। खासतौर पर दिल्ली में सर्दियों के दौरान बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे को लेकर सरकार के पास ठोस कार्ययोजना की जरूरत है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल राय, जिन्होंने पर्यावरण मंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया है, ने स्पष्ट किया कि उनका मुख्य उद्देश्य केजरीवाल सरकार द्वारा शुरू किए गए कार्यों को आगे बढ़ाना है। राय ने कहा, "सर्दियों में प्रदूषण पर नियंत्रण करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन हम पहले से ही विंटर एक्शन प्लान पर काम कर रहे हैं और विशेषज्ञों के साथ इसकी समीक्षा की है।"
राजनीतिक भविष्य और जनता की उम्मीदें
आतिशी का कार्यकाल भले ही चार महीनों तक सीमित हो, लेकिन यह उनके राजनीतिक कैरियर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री के रूप में उनकी कार्यप्रणाली और जनता के प्रति उनका दृष्टिकोण आगामी चुनावों में उनके और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। साथ ही, केजरीवाल की अनुपस्थिति में उनके नेतृत्व की परीक्षा भी है कि वह कैसे अपनी और पार्टी की स्थिति को स्थिर रखते हुए जनता का विश्वास बनाए रखती हैं।
आतिशी के सामने एक ओर राजनीतिक दबाव है, वहीं दूसरी ओर जनता की उम्मीदों का बोझ भी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने इस संक्षिप्त कार्यकाल में कैसे बदलाव लाती हैं और क्या वह अपनी राजनीतिक क्षमता का पूरी तरह से प्रदर्शन कर पाती हैं।
निष्कर्ष
आतिशी का मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेना दिल्ली की राजनीति में एक नई दिशा का संकेत हो सकता है, लेकिन साथ ही यह उनके और आम आदमी पार्टी के लिए एक कठिन चुनौती भी है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें