ईरान के सुप्रीम लीडर ने क्यों चुनी इमाम खुमैनी मस्जिद अपनी दुर्लभ तकरीर के लिए

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने लगभग पांच वर्षों में पहली बार शुक्रवार की नमाज़ में एक महत्वपूर्ण तकरीर दी। लेकिन उन्होंने इसके लिए इमाम खुमैनी मस्जिद, जो 1979 की इस्लामी क्रांति का केंद्र रही है, को चुनकर एक गहरा प्रतीकात्मक संदेश दिया। यह मस्जिद न केवल धार्मिक बल्कि ईरान की राजनीतिक क्रांति की धरोहर के रूप में भी जानी जाती है, और इस मंच से खामनेई का भाषण ईरानी जनता के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है।

इमाम खुमैनी मस्जिद: क्रांति का केंद्र

तेहरान के दिल में स्थित इमाम खुमैनी मस्जिद, जिसे पहले शाह मस्जिद के नाम से जाना जाता था, ईरान के इतिहास में एक विशेष स्थान रखती है। 18वीं शताब्दी में क़ाजार वंश के शाह फतह अली शाह के शासनकाल में निर्मित, यह मस्जिद अपनी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन 1979 की इस्लामी क्रांति के दौरान इसने एक और भूमिका निभाई—विरोध और क्रांति का गढ़ बनने की।

शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी के शासनकाल के दौरान, उनकी 'व्हाइट रेवोल्यूशन' के तहत किए गए सुधारों ने पश्चिमीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, जो कई ईरानी नेताओं, खासकर अयातुल्लाह रुहोल्लाह खुमैनी और अली खामनेई के लिए अस्वीकार्य था। शाह के शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बनने वाली यह मस्जिद क्रांतिकारियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना और सामूहिक संगठनों के लिए रणनीतिक स्थल बन गई।

विरोध की आवाज़ों का मंच

1964 में अयातुल्लाह खुमैनी को निर्वासित करने के बाद भी उनका प्रभाव ईरान में बना रहा, और इमाम खुमैनी मस्जिद ने इस संदेश को फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई। यहां से दिए गए उपदेश, धार्मिक और राजनीतिक आलोचना का मिश्रण थे, जो जनता के बीच शाह की नीतियों के खिलाफ असंतोष को बढ़ाते गए।

मस्जिद, जिसे तेहरान के ग्रैंड बाज़ार के पास स्थित होने का लाभ भी मिला, क्रांति की योजना बनाने और विरोध प्रदर्शनों को संगठित करने का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गई। विभिन्न विरोधी गुटों को एकजुट करने में इसने अहम भूमिका निभाई, जो अंततः शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी की सत्ता से बेदखली और इस्लामी गणराज्य की स्थापना में परिवर्तित हुई।

समकालीन संदर्भ में मस्जिद का महत्व

1979 की क्रांति के बाद इस मस्जिद का नाम बदलकर इमाम खुमैनी मस्जिद रखा गया, और आज भी यह ईरान की राजनीतिक और धार्मिक गतिविधियों का एक केंद्रीय स्थल है। यह मस्जिद क्रांति के शहीदों की याद और इस्लामिक गणराज्य के संस्थापकों की विचारधारा का प्रतीक है। अयातुल्लाह अली खामनेई ने इस प्रतिष्ठित स्थल से अपनी तकरीर देकर न केवल ईरान की जनता को संबोधित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि इस्लामी क्रांति की जड़ें आज भी गहरी हैं और उसकी विरासत को वह बनाए रखना चाहते हैं।

इमाम खुमैनी मस्जिद आज भी ईरानी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और खामनेई का यहाँ से दिया गया संदेश ईरान के वर्तमान और भविष्य के प्रति उनकी दृष्टि को दर्शाता है।

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