प्रधानमंत्री से मिलने से रोकने पर कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन, लोकतंत्र की हत्या का आरोप

वाराणसी में रविवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री से मुलाकात करने से रोके जाने पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्हें बलपूर्वक रोककर लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया गया, जिसे उन्होंने 'लोकतंत्र की हत्या' करार दिया।

कांग्रेस नेताओं ने पांच महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रधानमंत्री से बातचीत की मांग की थी, जिनमें काशी विश्वनाथ के महाप्रसाद का मुद्दा और बीएचयू के छात्रों के निलंबन का मामला प्रमुख थे। लेकिन प्रशासन द्वारा उन्हें मिलने से रोक दिया गया, जिसके बाद कांग्रेसजनों ने मैदागिन कार्यालय के सामने धरना दिया।

जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल और महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने अपने संयुक्त बयान में कहा, "अपने ही क्षेत्र के सांसद से मिलने से रोकना पूरी तरह से तानाशाही है। यह स्पष्ट करता है कि सरकार विपक्ष के सवालों से घबराई हुई है।" उन्होंने आगे कहा कि भाजपा की यह मानसिकता लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है और कांग्रेस जनहित के मुद्दों पर हमेशा जनता के साथ खड़ी रहेगी।

धरने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मैदागिन चौराहे पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और स्थानीय सांसद के नाम संबोधित चार सूत्रीय ज्ञापन एसीपी कोतवाली और एसीपी दशाश्वमेध को सौंपा।

विरोध प्रदर्शन में शामिल प्रमुख कांग्रेस नेता थे: फसाहत हुसैन बाबू, ओमप्रकाश ओझा, डॉ. राजेश गुप्ता, अरुण सोनी, वकील अंसारी, अशोक सिंह, मनीष मोरोलिया, अनुराधा यादव, पूनम विश्वकर्मा और अन्य कार्यकर्ता।

कांग्रेस ने इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से साफ कर दिया कि वे लोकतांत्रिक अधिकारों के संरक्षण के लिए किसी भी हद तक जाएंगे और जनहित के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहेंगे।

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