वाराणसी के भारत मिलाप मेले में भगदड़ और लाठीचार्ज: पुष्पक विमान के प्रवेश को लेकर यादव बंधुओं और पुलिस में टकराव, कई लोग घायल
वाराणसी: रविवार को वाराणसी के नाटी इमली मैदान में आयोजित भारत मिलाप मेले में एक बड़ी भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोग दबकर घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब यादव बंधु पारंपरिक पुष्पक विमान के साथ मैदान में प्रवेश कर रहे थे और पुलिस ने उन्हें रोक दिया। पुलिस और यादव बंधुओं के बीच नोकझोंक के बाद हालात बेकाबू हो गए और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
घटना का कारण
मेले के दौरान 3:45 बजे यादव बंधु पुष्पक विमान के साथ 100 मीटर दूर स्थित मंदिर से मैदान की ओर बढ़ रहे थे। पुष्पक विमान के साथ आने वाले व्यक्तियों को ही पुलिस ने बारकेटिंग के अंदर जाने की अनुमति दी थी, जबकि सैकड़ों की संख्या में मौजूद अन्य यादव बंधु इस पर आपत्ति जताने लगे। इस फैसले को लेकर दोनों पक्षों के बीच बहस शुरू हो गई, जो जल्द ही धक्का-मुक्की में बदल गई।
यादव बंधुओं की जिद्द थी कि सभी को अंदर जाने दिया जाए, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनज़र यह अनुमति नहीं दी। इसी बीच भीड़ का दबाव इतना बढ़ गया कि रस्सी और बैरिकेड्स टूट गए और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। देखते ही देखते भगदड़ मच गई और हालात बेकाबू हो गए।
मंत्री के बेटे की पुलिस से बहस
इस घटना के दौरान राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल के बेटे की भी पुलिस से तीखी बहस हो गई। इससे भीड़ और अधिक उत्तेजित हो गई और कई लोगों ने जूते-चप्पल फेंकने शुरू कर दिए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को मजबूरन लाठीचार्ज करना पड़ा, जिससे और अफरातफरी मच गई। भगदड़ में कई लोग दबकर घायल हो गए, जिन्हें पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। कई थानों की पुलिस फोर्स ने मैदान को घेर लिया और भीड़ को काबू में किया। घटना के बाद मेले में शांति बहाल की गई, लेकिन घायल लोगों की हालत को देखते हुए प्रशासन पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
ऐतिहासिक महत्व और परंपरा
नाटी इमली का भारत मिलाप मेला वाराणसी की एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो 481 साल से लगातार आयोजित हो रहा है। इस मेले में चारों भाइयों (श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न) के मिलन का दृश्य प्रदर्शित किया जाता है। यादव बंधु हर साल पारंपरिक वेशभूषा में इस मिलाप को सजीव करने के लिए पुष्पक विमान को लेकर आते हैं।
समारोह का सबसे महत्वपूर्ण पल तब आता है जब अस्ता चलगामी सूर्य की किरणें 4:40 बजे एक विशेष चबूतरे पर पड़ती हैं। इसके बाद, श्री राम और लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न से गले मिलते हैं, जो दो मिनट का दृश्य लाखों दर्शकों के लिए एक अद्भुत क्षण होता है।
काशी नरेश की ऐतिहासिक साक्षी
इस परंपरा को बनाए रखने में काशी नरेश की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जो पिछले 228 सालों से इस लीला के साक्षी बनते आ रहे हैं। इस आयोजन का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व काशीवासियों और देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहद खास है।
भविष्य की तैयारियां
इस घटना ने प्रशासन को आने वाले आयोजनों के लिए सतर्क कर दिया है। पुलिस और प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे ताकि इस तरह की अप्रिय घटनाओं से बचा जा सके।
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